बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान
प्रश्न- पाचन तंत्र में पाए जाने वाले मुख्य पाचक रसों का संक्षिप्त परिचय दीजिए तथा पाचन क्रिया में इनकी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
हमारे शरीर में अनेक पाचक रस होते हैं। इन पाचक रसों में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो भोजन को शीघ्र पचने योग्य बना देते हैं। यदि मानव शरीर में किसी पाचक रस का अभाव हो जाता है तो उसका प्रभाव मनुष्य के स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से पड़ता है। इन पाचक रसों में लार, आमाशयिक रस, अग्न्याशयिक रस, पित्त रस व आन्त्रीय रस मुख्य हैं। इन रसों का संक्षिप्त परिचय निम्नवर्णित है -
1. लार - लार भी एक प्रकार का पाचक रस है। यह मुँह में स्थित छह लार ग्रन्थियों से निकलता है। लार एक पारदर्शी, क्षारीय, पनीला, गाढ़ा और चिपचिपा द्रव होता है। इसमें टायलिन नामक विकर होता है। इस विकर से श्वेतसार (मण्ड), जो सामान्य दशा में अपाच्य होता है, अंगूरी शक्कर में बदल जाता है तथा शीघ्र पचने योग्य बन जाता है।
2. आमाशयिक रस - आमाशय की भित्ति की भीतरी पर्त में श्लेष्मिक झिल्ली होती है। इसमें छोटी-छोटी ग्रन्थियाँ होती हैं, जिन्हें आमाशयिक ग्रन्थियाँ कहते हैं। इन्हीं ग्रन्थियों से निकलने वाला रस आमाशयिक रस होता है। इसे जठर रस भी कहते हैं। इस रस में नमक का अम्ल (हाइड्रोक्लोरिक एसिड), रेनिन तथा पेप्सिन नाम के दो विकर ( enzymes) होते हैं। विकर वे कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो एक पदार्थ को दूसरे पदार्थ में बदल देते हैं। पाचन क्रिया में इनका महत्वपूर्ण योगदान है।
आमाशय में जब भोजन पहुँचता है तब वह क्षारीय होता है, परन्तु आमाशय में उपस्थित नमक के अम्ल से उसकी क्षारीयता दूर हो जाती है। रेनिन नामक एन्जाइम दूध को फाड़कर उसकी प्रोटीन को पृथक कर देता है और पेप्सिन के प्रभाव से प्रोटीन पेप्टोन में परिवर्तित हो जाती है। भोजन में जो जीवाणु होते हैं, वे नमक के अम्ल से नष्ट हो जाते हैं। इस प्रकार भोजन आमाशय में लेई के रूप में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रकार आमाशयिक रस की सहायता से भोजन शीघ्र पचने योग्य बन जाता है।
3. अग्न्याशयिक रस- यह क्लोम नामक ग्रन्थि में बनता है। यह ग्रन्थि आमाशय के ठीक पीछे स्थित होती है और पक्वाशय में प्लीहा तक फैली होती है। यह लगभग 14-15 सेमी लम्बी होती है। इसका दाहिना सिरा पक्वाशय में खुलता है और बायाँ सिरा प्लीहा से जुड़ा रहता है। इस ग्रन्थि में बनने वाले रस को ही अग्न्याशयिक रस कहते हैं।
संगठन और कार्य - अग्न्याशयिक रस पतला, स्वच्छ और खारेपन का गुण लिये होता है। इस रस में तीन प्रकार के विकर (enzymes) पाये जाते हैं-
1. एमाइलोप्सिन, 2 ट्रिप्सिन और 3. लाइपेज।
इनके कार्य निम्नलिखित हैं-
(i) एमाइलोप्सिन भोजन में बिना पचे हुए मण्ड (strach) को शक्कर में बदल देता है।
(ii) ट्रिप्सिन नामक खमीर भोजन के प्रोटीन को पेप्टोन में परिवर्तित कर देता है।
(iii) लाइपेज वसा (fats) को ग्लिसरॉल और वसा अम्ल में विभक्त कर देता है।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि अग्न्याशयिक रस भोजन के कार्बोज, प्रोटीन और वसा (चिकनाई) को पचाने में सहायता प्रदान करता है।
4. पित्त रस - पित्त रस हरे रंग का एक द्रव होता है। यह यकृत में बनता है और यकृत-नली द्वारा पित्ताशय में जमा होता रहता है। पाचन क्रिया के समय आवश्यकता पड़ने पर यह पित्त नली द्वारा पक्वाशय में उसी स्थान पर पहुँच जाता है जहाँ अग्न्याशयिक रस पहुँचता है। पित्त रस पाचन क्रिया में विशेष सहायता नहीं करता, यह केवल अग्न्याशयिक रस की सहायता करता है। इसकी सहायता से वसा का पाचन सरलता से हो जाता है। इसके अतिरिक्त पित्त रस निम्नलिखित कार्य करता है.
(i) यह रस प्रोटीन में से यूरिया और यूरिक अम्ल को अलग करता है और फिर ये विजातीय पदार्थ गुर्दों द्वारा शरीर के बाहर निकाल दिये जाते हैं।
(ii) यह भोजन को अवशोषण योग्य बनाता है और रक्त को गाढ़ा करता है।
(iii) यह रस अंगूरी शक्कर को ग्लूकोज में परिवर्तित करके उसे पचाने में सहायता करता है।
(iv) विषैले पदार्थों (toxins) को नष्ट कर आँतों में सड़न पैदा होने से रोकता है।
(v) इस रस द्वारा रक्त का हीमोग्लोबिन वर्ज्य पदार्थों से अलग हो जाता है।
5. आन्त्रीय रस (intestical juice) - पाचन तन्त्र में एक रस आँतों से भी स्त्रावित होता है। इसे आन्त्रीय रस कहते हैं। छोटी आँत के अन्दर स्थित छोटी-छोटी ग्रन्थियों में इस रस का निर्माण होता है। इस रस का मुख्य कार्य भोजन को इतना घुलनशील बनाना है कि वह रक्त द्वारा शीघ्र ही अवशोषित किया जा सके। घोलने की इस क्रिया को पूरा करने में इस रस में पाये जाने वाले दो मुख्य विकरों का मुख्य योगदान होता है। ये विकर हैं - इरेप्सिन (erepsin) तथा एण्टेरोकाइनेज (enterokinase)। ये दोनों विकर पाचन क्रिया में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
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- प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
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- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
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- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
- प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
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- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?